वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
७ जनवरी २०१८
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
"दुःख में सुमिरन सब करे सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय II"
प्रसंग:
जीवन की भौतिकता से मन क्यूँ उठ गया है?
वैराग्य का सही अर्थ क्या है?
क्या हार कर हटना वैराग्य है?
असली वैरागी कौन होता है?